फुरसत में ---- कभी ऐसा भी वक़्त था , फुर्सत के लिए तरसते थे, आज ये आलम है, फुर्सत न हो, इसके लिए , तरसते हैं । जीवन की शाम में, क्यों होता है ऐसा , आने वाले नहीं , गुज़रे हुए ज़माने की, बातें ज्यादा याद आती है। Chitrangada Sharan 8th June, 2016 All Rights Reserved. Image credit: Google images