Aaj phir kuch yaadon ne dastak di hai----
आज फिर कुछ यादों ने दस्तक दी है ----
सावन के सावरे बादलों ने ,
जब बारिशों के आने की आहट दी है,
आज फिर कुछ यादों ने दस्तक दी है.
हरी हरी घास और हरे पत्तों ने ,
फिजा को एक रूहानी सी रौनक दी है,
आज फिर कुछ यादों ने दस्तक दी है.
जैसे कल की ही बात हो,
बम्बई की सड़कों पे हम,
बारिश की फुहारों संग,
हाथों में हाथ लिए,
एक छाता साथ लिए ,
भीगते चलते थे हम,
यूँ ही गुनगुनाते हुए ,
नज़रों से नज़रे मिलाते हुए ;
खिड़की पे बैठते कभी,
बारिश को देखते हम,
भीगा हुआ सा मौसम,
अजीब से जज्बात जगाते थे ,
एक दूसरे के होने का एहसास ,
सारे जहाँ को भुलाते थे;
आज फिर बारिशों का मौसम आया है ,
और कुछ यादों ने दस्तक दी है---
हाँ , कुछ उम्र बीत गयी है ,
फिर भी -------
आज कुछ यादों ने दस्तक दी है.
Chitrangada Sharan
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