सिलसिला आने जाने का ----
दिन यूँ ही कटते चले जाते हैं
सुबह आती है तो शाम का इंतज़ार होता है ,
रातें आती है तो सुबह का इंतज़ार होता है
एक त्यौहार बीतता है तो ,
दुसरे के आने का इंतज़ार होता है;
लोग आते है , लोग चले जाते हैं,
बस एक हम हैं, जो वहीँ के वहीँ खड़े रह जाते हैं .
Chitrangada Sharan
19th June, 2013
Image source: Chitrangada Sharan
upper image: Google
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