आज ऐसा भी क्या हो गया है ;
के जर्रा जर्रा ख़ुशी में समाया हुआ है;
मन जैसे यूँ ही मुस्कुराया हुआ है ;
आँखें रह रह कर घड़ी की ओर देखती हैं;
दिल की बेताबी जैसे छुपाये नहीं छुपती है;
कमबख्त चेहरे से सब बयां होती है;
बेक़रार हैं सभी , खुश हैं सभी,
ये पंछी, ये मौसम, ये फ़िज़ायें ;
और हम-----
शायद किसी के आने का इंतज़ार है।
कमबख्त चेहरे से सब बयां होती है;
बेक़रार हैं सभी , खुश हैं सभी,
ये पंछी, ये मौसम, ये फ़िज़ायें ;
और हम-----
शायद किसी के आने का इंतज़ार है।
Chitrangada Sharan
All Rights Reserved.
Image: self