Thursday, January 16, 2014

INTEZZAR! WAITING FOR SOMEONE!





आज  ऐसा  भी क्या  हो गया है ;

के जर्रा जर्रा ख़ुशी में समाया हुआ है;


 मन  जैसे यूँ ही  मुस्कुराया  हुआ है ;



आँखें  रह  रह  कर  घड़ी  की  ओर  देखती  हैं;

दिल की  बेताबी जैसे छुपाये  नहीं छुपती है;

कमबख्त चेहरे से सब बयां  होती है;


बेक़रार हैं सभी , खुश हैं सभी,

ये पंछी, ये  मौसम, ये  फ़िज़ायें ;

और  हम-----

शायद किसी के आने का इंतज़ार है। 


Chitrangada Sharan
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Image: self




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