एक ही माँ के आँचल में पली ;
एक ही साथ खेलीं , एक साथ बढी ;
एक दुसरे को बेपनाह प्यार किया ;
एक साथ, एक जैसे ही सपने देखे ;
हाँ पर ये भी एक सच है ;
पेड़ों की दो शाखों की तरह ;
तक़दीर उन्हें दो विपरीत दिशाओं में ले जाती है;
जो शायद कभी नहीं मिलते है ;
वो प्यार, वो अपनापन ;
वो सपने, वो बचपन ;
बस यादें बन कर रह जाती हैं ;
अकेले में आँखें नम कर जाती हैं।
एक ही साथ खेलीं , एक साथ बढी ;
एक दुसरे को बेपनाह प्यार किया ;
एक साथ, एक जैसे ही सपने देखे ;
हाँ पर ये भी एक सच है ;
पेड़ों की दो शाखों की तरह ;
तक़दीर उन्हें दो विपरीत दिशाओं में ले जाती है;
जो शायद कभी नहीं मिलते है ;
वो प्यार, वो अपनापन ;
वो सपने, वो बचपन ;
बस यादें बन कर रह जाती हैं ;
अकेले में आँखें नम कर जाती हैं।
Chitrangada Sharan,
28.02.2014
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Image source: Chitrangada Sharan Images
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